Monday, May 6, 2024

मुक्तक

बात बेबात देखभाल यार मारे है ।।

जिस्म मेरा छुए न दिल पे मार मारे है ।।

क्यों न मैं उसका नाम मौत आज से रख दूॅं ,

वो मुझे रोज़-रोज़ बार-बार मारे है ।।

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 


No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...