वो मिलने किसी से अरे होके पागल ।।
लगाकर घटाओं का ऑंखों में काजल ।।
चले हैं पहन काले काग़ज़ के कपड़े ,
तो बरसें , न बरसें ये सोचें वो बादल ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
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