Sunday, May 12, 2024

दोहे

अब समझा वो क्यों रहें , अक्सर बहुत उदास ।।

आए थे हरि भजन को , ओटन लगे कपास ।।

बनके रहे वो उम्र भर , उनकी नज़र में ख़ास ।।

लेकिन दिल में एक लम्हा , वो कर सके न वास ।।

मंदिर-मस्ज़िद आजकल , किसको आते रास ?

अब तो केवल चाहिए , उन्नति और विकास ।।

कैसे उनकी बात पर , करलूॅं मैं विश्वास ?

वो नेता होते न तो , रख भी लेता पास ।।

सच कुछ ऐसे शेर हैं , रहते हैं जो पास ।।

भूख न हो बर्दाश्त तो , वो चर लेते घास ।।

-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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