Tuesday, May 14, 2024

ग़ज़ल

मेरे मुर्दे को छूकर ज़रा देख लो ।।

है पड़ा सामने इक दफ़्आ देख लो ।।

तुम न शामिल हुए जिसकी मैयत में वो ,

था तुम्हारे लिए ही मरा देख लो ।।

तुमको पाके वो मुर्दा जो था जी उठा ,

खोके तुमको वो जिंदा जला देख लो ।।

उम्र भर साथ चलने का वादा फ़क़त ,

तोड़ दो दिन में तुमने दिया देख लो ।।

तुमने बोला था आओगे मैं उस जगह ,

राह तकता अभी तक खड़ा देख लो ।।

देखना हो जो सब्ज़ा ही चारों तरफ़ ,

बस हरा चश्मा ऑंखों लगा देख लो ।।

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 

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