मेरे मुर्दे को छूकर ज़रा देख लो ।।
है पड़ा सामने इक दफ़्आ देख लो ।।
तुम न शामिल हुए जिसकी मैयत में वो ,
था तुम्हारे लिए ही मरा देख लो ।।
तुमको पाके वो मुर्दा जो था जी उठा ,
खोके तुमको वो जिंदा जला देख लो ।।
उम्र भर साथ चलने का वादा फ़क़त ,
तोड़ दो दिन में तुमने दिया देख लो ।।
तुमने बोला था आओगे मैं उस जगह ,
राह तकता अभी तक खड़ा देख लो ।।
देखना हो जो सब्ज़ा ही चारों तरफ़ ,
बस हरा चश्मा ऑंखों लगा देख लो ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
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