Sunday, April 24, 2016

मुक्तक : 825 - जब चाहे तू छुड़ाले ॥



भूखा है तो चबाकर 
जी भर के मुझको खाले ॥
प्यास अपनी क़तरा-क़तरा
 खूँ चूसकर बुझाले ॥
मालिक है तू मेरा , हर
इक हक़ है मुझपे तेरा ,
जो चाहिए मेरा सब 
जब चाहे तू छुड़ाले ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...