Sunday, April 24, 2016

मुक्तक : 826 - जोड़-तोड़ कर



जोड़-घटाकर जैसे-तैसे इक घर बनवाया ॥
पर कुदरत को मेरा यह निर्माण नहीं भाया ॥
रात अचानक जब इसमें सब सोए थे सुख से ,
छोड़ मुझे कुछ भी न बचा ऐसा भूकंप आया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...