Tuesday, April 19, 2016

मुक्तक : 823 - सौभाग्य–लेखन



चाहता था मेरे हाथों में तेरा मन-हाथ होता ॥
स्वर्ग से ले नर्क तक तू मेरे हर छन साथ होता ॥
मिल के सारे काट लेते रास्ते काँटों भरे हम ,
किन्तु कब सबके लिए सौभाग्य-लेखन माथ होता ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...