पानी तलब करो मैं ला दूँ अर्क-ए-गुलाब ॥
गर तुम कहो तो इक सफ़्हा क्या लिख दूँ मैं किताब ॥
हसरत है तुम जो माँँगो दूँ वो उससे बढ़के तुमको ,
बदले में दो जो अपना सच्चा प्यार बेहिसाब ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
गर तुम कहो तो इक सफ़्हा क्या लिख दूँ मैं किताब ॥
हसरत है तुम जो माँँगो दूँ वो उससे बढ़के तुमको ,
बदले में दो जो अपना सच्चा प्यार बेहिसाब ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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