Saturday, April 23, 2016

मुक्तक : 824 - चूमेगी कह-कह बालम ॥



हँसके जीने भी नहीं देते जो लोग आज मुझे ,
मेरे मरने पे मनाएँगे ग़ज़ब का मातम ।।
आज लगती है मेरी चाल उन्हें बेढब सी ,
कल मेरे तौर-तरीक़ों पे चलेगा आलम ।।
वक़्त बेशक़ जो मुझे आज दुलत्ती मारे ,
बात तक़्दीर मेरी कोई भी सुनती न अभी ;
लेकिन इक रोज़ दुलारेगा यही वक़्त मुझे ,
ये ही तक़्दीर मुझे चूम कहेगी बालम ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...