हँसके जीने भी नहीं देते जो लोग आज मुझे ,
मेरे
मरने पे मनाएँगे ग़ज़ब का मातम ।।
आज
लगती है मेरी चाल उन्हें बेढब सी ,
कल
मेरे तौर-तरीक़ों पे चलेगा आलम ।।
वक़्त
बेशक़ जो मुझे आज दुलत्ती मारे ,
बात
तक़्दीर मेरी कोई भी सुनती न अभी ;
लेकिन
इक रोज़ दुलारेगा यही वक़्त मुझे ,
ये
ही तक़्दीर मुझे चूम कहेगी बालम ।।
-डॉ.
हीरालाल प्रजापति
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