Thursday, March 24, 2016

मुक्तक : 818 - मुझपे करना ज़ुल्म





मुझपे करना ज़ुल्म सारे , रात-दिन करना जफ़ा ॥
खुश न रहना मुझसे चाहे रहना तुम हरदम ख़फ़ा ॥
गालियाँ भी जितना जी चाहे मुझे बकना मगर ,
इक गुज़ारिश है कभी कहना मुझे मत बेवफ़ा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...