Wednesday, March 23, 2016

मुक्तक : 817 - अबके अवसर



अबके अवसर ना छोडूँगा यार लगाऊँगा ॥
गिन-गिन कर इक बार नहीं सौ बार लगाऊँगा ॥
कबसे मंशा है तुझको अपने रँग रँगने की ,
इस होली में तुझ पर रँग-भण्डार लगाऊँगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...