Wednesday, January 27, 2016

मुक्तक : 801 - नश्वर



कौन यह जानता नहीं कि काया नश्वर है ?
सबका जीवन यहाँ पे जल का बुलबुला भर है ॥
स्वप्न फिर भी वो जन्म-जन्म के सँजोता यों ,
जैसे अमृत की आया मटकियाँ गुटक कर है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...