Tuesday, January 12, 2016

मुक्तक : 797 - चलने की तैयारियाँ ॥




ख़ुद ख़रीदी हैं जाँसोज़ बीमारियाँ ॥
हो रहीं पुख्ता चलने की तैयारियाँ ॥
तब पता ये चला फुँक चुका जब जिगर ,
जाँ की क़ीमत पे कीं हमने मैख़्वारियाँ ॥
( जाँसोज़=जाँ को जलाने वाली ,मैख़्वारियाँ=शराबखोरी )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...