अपना मजहब छोड़ तेरा अपने सर मजहब किया ॥
रब को रब ना मानकर तुझको ही अपना रब किया ॥
होश में हरगिज़ न करते जो वो बढ़-बढ़ शौक़ से ,
हमने तेरे इश्क़ की दीवानगी में सब किया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
6 comments:
उम्दा मुक्तक।
उम्दा मुक्तक।
धन्यवाद ! yashoda agrawal जी !
बहुत अच्छे डाक साब
लाजवाब मुक्तक
आप भी आईये मेरे ब्लॉग तक...अच्छा लगेगा रंगरूट
धन्यवाद ! Rohitas ghorela जी !
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