Thursday, September 11, 2014

मुक्तक : 595 - अपना मजहब छोड़


अपना मजहब छोड़ तेरा अपने सर मजहब किया
रब को रब ना मानकर तुझको ही अपना रब किया
होश में हरगिज़ करते जो वो बढ़-बढ़ शौक़ से ,
हमने तेरे इश्क़ की दीवानगी में सब किया
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

6 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

उम्दा मुक्तक।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

उम्दा मुक्तक।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! yashoda agrawal जी !

Rohitas Ghorela said...

बहुत अच्छे डाक साब
लाजवाब मुक्तक

Rohitas Ghorela said...

आप भी आईये मेरे ब्लॉग तक...अच्छा लगेगा रंगरूट

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Rohitas ghorela जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...