यहाँ
क्या और वहाँ क्या हर जगह पर याद आता है ॥
नहीं
रुक - रुक के वो मुझको निरंतर याद आता है ॥
रहा
करते थे जब उसमें तब उसकी क़द्र ना जानी ,
कि
घर से दूर होकर अब बहुत घर याद आता है ॥
-डॉ.
हीरालाल प्रजापति
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