Wednesday, September 17, 2014

मुक्तक : 602 - दिल के बाशिंदों से


दिल के बाशिंदों से मुँह मोड़ आये
जाने किस-किस के दिल को तोड़ आये ?
जुड़ के रहने का जिनसे वादा था ,
उनसे हर एक रिश्ता तोड़ आये
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

2 comments:

अजय कुमार झा said...

वाह ...क्या कहने , बहुत ही बढिया

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! अजय कुमार झा जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...