Wednesday, September 17, 2014

मुक्तक : 603 - बेझिझक बाहों में ले


बेझिझक बाहों में ले मुझको जकड़ना क्या हुआ ?
सारी दुनिया से मेरी ख़ातिर झगड़ना क्या हुआ ?
मेरी छोटी सी ख़ुशी के वास्ते लंबी दुआ ,
पीर की चौखट पे वो माथा रगड़ना क्या हुआ ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...