Monday, September 15, 2014

मुक्तक : 600 - छः को छः


छह को छह , सत्ते को बोले सात वह
दिन को दिन , रातों को बोले रात वह
कैसे मानूँ है नशे में चूर फिर ,
कर रहा जब होश की हर बात वह ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...