Sunday, September 14, 2014

मुक्तक : 599 - मुँह से ज़रा सी रोशनी


मुँह से ज़रा सी रोशनी की बात थी निकली ॥
उसने गिरा दी हम पे कड़कड़ाती ही बिजली ॥
झोली में गिद्ध, चील, बाज़झट से ला पटके ,
चाही जो हमने इक ज़रा-सी प्यारी-सी तितली ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...