Friday, July 15, 2016

मुक्तक : 852 - दया , करुणा , अहिंसा



हाँ दया , करुणा , अहिंसा का सतत उपदेश दे ॥
किन्तु मत प्रकृति विरोधी रात - दिन संदेश दे ॥
वृद्ध हो , भूखा हो तेरा दास भी हो तो भी मत ,
घास चरने का कभी भी शेर को आदेश दे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...