Monday, July 4, 2016

ग़ज़ल : 201 - सच नहीं अच्छी कहानी चाहिए ॥



बस तुम्हारी मुँहज़ुबानी चाहिए ॥
सच नहीं अच्छी कहानी चाहिए ॥
आख़री ख़्वाहिश _जो मेरी खो गई
फिर से वापस वो जवानी चाहिए ॥
मुझको तालाबों , कुओं , झीलों में भी ,
नदियों के जैसी रवानी चाहिए ॥
लू-लपट ,हिमपात ,फटते मेघ नाँ ,
मुझको सब ऋतुएँ सुहानी चाहिए ॥
याद तो आती है तेरी रोज़ ही ,
तुझको भी तशरीफ़ लानी चाहिए ॥
दे चुका तुझको मैं क्या-क्या तोहफ़े ,
अब मुझे तुझसे निशानी चाहिए ॥
दोस्त दो ,दुश्मन दो लेकिन शर्त है ,
मुझको जानी ,सिर्फ़ जानी चाहिए ॥
प्यास पानी से मेरी बुझती न अब ,
अब मुझे अंगूर-पानी चाहिए ॥
चाहिए हर वक़्त लड़कों को सनम ,
अब न मम्मी ,दादी ,नानी चाहिए ॥
इश्क़ सस्ता हो गया तो क्या हमें ,
कम नहीं क़ीमत लगानी चाहिए ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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