बस तुम्हारी मुँहज़ुबानी
चाहिए ॥
सच नहीं अच्छी कहानी
चाहिए ॥
आख़री ख़्वाहिश _जो मेरी खो गई
फिर से वापस वो जवानी
चाहिए ॥
मुझको तालाबों , कुओं , झीलों में भी ,
नदियों के जैसी रवानी
चाहिए ॥
लू-लपट ,हिमपात ,फटते मेघ नाँ ,
मुझको सब ऋतुएँ सुहानी
चाहिए ॥
याद तो आती है तेरी रोज़
ही ,
तुझको भी तशरीफ़ लानी
चाहिए ॥
दे चुका तुझको मैं
क्या-क्या तोहफ़े ,
अब मुझे तुझसे निशानी
चाहिए ॥
दोस्त दो ,दुश्मन दो लेकिन शर्त है ,
मुझको जानी ,सिर्फ़ जानी चाहिए ॥
प्यास पानी से मेरी
बुझती न अब ,
अब मुझे अंगूर-पानी
चाहिए ॥
चाहिए हर वक़्त लड़कों को
सनम ,
अब न मम्मी ,दादी ,नानी चाहिए ॥
इश्क़ सस्ता हो गया तो
क्या हमें ,
कम नहीं क़ीमत लगानी
चाहिए ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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