वस्ल महबूब से होता , नहीं फ़िराक़ होता ॥
इश्क़ मेरा न सिसकते हुए हलाक होता ॥
हाँ अगर होता वो मुफ़्लिस या उसके जैसा मेरा ,
बल्कि उससे भी कहीं बढ़के तुमतुराक़ होता ॥
( वस्ल = मिलन
, फ़िराक़ = बिछोह , हलाक = हत , तुमतुराक़ =
वैभव )
-डॉ.
हीरालाल प्रजापति
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