Monday, July 11, 2016

मुक्तक : 850 - तन से सब उतार के ॥




[ चित्र google search से साभार ]

कर रहा है स्नान कोई तन से सब उतार के ॥
कोई भी न देखता ये सोच ये विचार के ॥
उसके इस भरोसे को न मार डाल इस तरह ,
झाँक-झाँक के तू गुप्त छिद्र से किवार के ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...