कुछ जी भर कुछ नाम मात्र को भोग लगाते
हैं ॥
मूरख क्या ज्ञानी से ज्ञानी लोग लगाते
हैं ॥
खुल्लमखुल्ला, लुक-छिपकर, चाहे या अनचाहे,
किन्तु सभी यौवन में प्रेम का रोग लगाते
हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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