Wednesday, June 1, 2016

मुक्तक : 844 - कैसा वो दरिया ?





कैसा वो दर्या जिसमें न होवे है रवानी ?
फिर क्या वो कृष्ण जिसकी न मीरा हो दिवानी ?
वो उम्र जो गुज़रती हो बेइश्क़ यक़ीनन ,
बचपन है या बुढ़ापा है हरगिज़ न जवानी !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति




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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...