Saturday, June 18, 2016

मुक्तक : 847 - हमने क्या देखा ?




फ़क़त एक हमने क्या देखा सभी ने ॥
तुम्हें नाखुदा बन डुबोते सफ़ीने ॥
तो ये जान क्यों कोई चाहेगा तुमको,
हो जब इस क़दर धोखेबाज़ और कमीने ॥
(फ़क़त = केवल ,नाखुदा = नाविक ,सफ़ीने = नाव ,कमीने = पातकी )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...