चाँदी
रात है , सोना दिन है ॥
दिल अपना नाख़ुश लेकिन है ॥
तेरे
बिन जीना नामुमकिन ,
फिर भी
जीना तेरे बिन है ॥
उससे
क्या माँगें जो दाने ,
ना तोले
देता गिन-गिन है ॥
कैसे
चूमें-चाटें उसको ,
हमको
आती जिससे घिन है ॥
बस पागल
ही इस दुनिया में ,
दर्द
में भी हँसता तासिन है ॥
मेरा
पीछा वो मीठे पर ,
मक्खी
सा करता भिन-भिन है ॥
मैं
वीणा का पंचम स्वर वो ,
तबले की
तिरकिट-धा-धिन है ॥
तन
नाजुक है फूल सा उसका ,
पत्थर
सा लेकिन बातिन है ॥
मैं तो
बस बोगी ही बोगी ,
क़िस्मत
ही मेरा इंजिन है ॥
( तासिन = जीवन पर्यंत ,
बातिन = मन , हृदय )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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