Wednesday, September 2, 2015

मुक्तक : 760 - तुझे बेदख़्ल कर दूँ





चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ]

मुनासिब है हटा दूँ तुझको अपने जेह्न से , दिल से ।।
तुझे बेदख़्ल कर दूँ अपनी तनहाई से , महफ़िल से ।।
इसी में अक़्लमंदी है अगर है सिर्फ़ नुक़्साँ ही ,
ज़माने भर से लेकर दुश्मनी इक तेरे हासिल से ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...