Friday, September 25, 2015

मुक्तक : 766 ( B ) अब पस्त हो बैठे ?



तेरे भी बाक़ी बचे सब पस्त हो बैठे ॥
मेरे तो मत पूछ तू कब पस्त हो बैठे ?
जो बँधाते थे हमें हिम्मत ये हैरत है
उनके भी सब हौसले अब पस्त हो बैठे ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...