Friday, September 4, 2015

मुक्तक : 761 - अर्श को पाना ॥



[ चित्रांकन : डॉ. हीरालाल प्रजापति ]
आपको जानके , होता न शम्अ ; पर्वाना ॥
इश्क़ में आपके , होता न मैं जो दीवाना ॥
दफ़्न रहके भी मैं , रह लेता फ़र्श पर भी ख़ुश ,
मुझको होता कभी , लाज़िम न अर्श को पाना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...