Saturday, August 17, 2024

मुक्तक











मेरे होकर मोहब्बत में कभी पागल नहीं आए ।।

न धुल पाए किसी पानी से वो काजल नहीं लाए ।।

है कबसे मौसम ए ग़म मेरे दिल में छा रहा फिर भी ,

अभी तक ऑंसुओं के ऑंख में बादल नहीं छाए ?

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 




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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...