Monday, August 12, 2024

मुक्तक

 











मैं तकता रहा राह उसकी बताई ।।

बुलाया था उसने मगर ख़ुद न आई ।।

कई शामें अपनी गयीं इस तरह भी ,

न पीयी गई और न उसने पिलाई ।।

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...