Friday, February 12, 2016

मुक्तक : 807 - दो बूँद जल दे दे ॥




लगाते दौड़ चूहे पेट में 
बस एक फल दे दे ॥
न दे खाने को पीने के लिए
 दो बूँद जल दे दे ॥
अशक्त होकर पड़ा हूँ भूमि पे यों
 जैसे कोई शव ,
न कर कुछ मुझको उठ भर जाऊँ
 तू बस इतना बल दे दे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति



1 comment:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । शास्त्री जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...