हमने ज्यों ही लिबास पहना था शराफ़त
का ,
दुनिया बदमाशियों पे हो
गई उतारू सब ॥
हमने ज्यों ही उतारा मैक़शी
के दामन को ,
लोग पीने लगे बग़ैर प्यास
दारू सब ॥
उनको कहते हैं लोग शहर का
बड़ा नेता -
सिर पे टोपी लपेटते गले
में वो मफ़लर ,
हम जो सैण्डल पहन के आज पहुँचे क्या दफ़्तर ,
हमको कहने लगे फटाक से गँवारू सब !!
हमको कहने लगे फटाक से गँवारू सब !!
-डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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