Thursday, October 22, 2015

मुक्तक : 773 - साफ़-सुथरे ख़्वाब



सुधारता रहूँगा भूल पर मैं भूल अपनी ॥
न पड़ने दूँगा आँख में घुमड़ती धूल अपनी ॥
रखूँगा साफ़-सुथरे ख़्वाब अपने मैं ज़िंदा ,
न होने दूँगा हसरतें कभी फिज़ूल अपनी ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...