Sunday, October 11, 2015

मुक्तक : 769 - ज़िंदगी काफ़ूर सी.....




आस्माँ से गोल पत्थर जैसी गिरती है ॥
फ़र्श पर बोतल के टुकड़ों सी बिखरती है ॥
पूछते हो तो सुनो सच आजकल अपनी
ज़िंदगी काफ़ूर सी उड़ती गुजरती है ॥
( काफ़ूर = कपूर )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...