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Thursday, October 29, 2015
Sunday, October 25, 2015
Saturday, October 24, 2015
गीत : 38 - सुए से फोड़ लें आँखें ?
जो पढ़ना चाहते हैं वैसा क्यों लिखता नहीं कोई ?
जो तकना चाहते हैं वैसा क्यों दिखता नहीं कोई ?
कि पढ़ना छोड़ ही दें या सुए से फोड़ लें आँखें ?
कोई अपनों में दिखता ही नहीं मन मोहने वाला ,
कोई मिलता नहीं पूरा हृदय को सोहने वाला ,
करें क्या शत्रु को मन भेंट दे दें , जोड़ लें आँखें ?
नहीं लगता असाधारण हमें
क्यों उसका अब व्यक्तित्व ?
कड़ा संघर्ष कर जिस पर स्थापित
कल किया स्वामित्व ,
दरस को जिसके मरते थे लगे
अब मोड़ लें आँखें ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
Friday, October 23, 2015
Thursday, October 22, 2015
Tuesday, October 20, 2015
Monday, October 19, 2015
Friday, October 16, 2015
Sunday, October 11, 2015
Saturday, October 10, 2015
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मुक्तक : 948 - अदम आबाद
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
