Saturday, July 27, 2024

मुक्तक

 


ताज़े को फेंक खाते हम लुत्फ़ लेके बासा ।।

बारिश में भीगते पर रखते हैं ख़ुद को प्यासा ।।

कोई कमी नहीं है , ये तो है अपनी मर्ज़ी ,

सब ख़ुद लुटाके फिरते हाथों में पकड़े कासा ।।

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...