Saturday, January 11, 2020

मुक्तक : 946 - फूल


जो रखते हैं यहाँ पे चंद उसूल मुझ जैसे ;
नहीं सभी को होते हैं क़बूल मुझ जैसे ।।
गुलाब , मोगरे , कँवल की दुनिया दीवानी ;
करे है सख़्त नापसंद फूल मुझ जैसे ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

5 comments:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । अनिता सैनी जी ।

नीलांश said...

सुंदर

Onkar said...

सुंदर रचना

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । नीलांश जी ।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । ओंकार जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...