तो पल भर नहीं उम्र भर कीजिएगा।।
ख़ुदारा ख़बर कुछ भी उनकी मिले तो ,
मुझे सबसे पहले ख़बर कीजिएगा ।।
बमुश्किल निकाला है तुमको नज़र से ,
न हॅंसते हुए दिल में घर कीजिएगा ।।
नहीं चाहकर भी तुम्हें चाह बैठूॅं ,
कुछ अपना यूॅं मुझ पर असर कीजिएगा ।।
भले सख़्त नफ़रत से लेकिन क़सम से ,
कभी मेरी जानिब नज़र कीजिएगा ।।
चिकनाई पर से गुज़रना पड़े तो ,
कभी पाॅंव अपने न पर कीजिएगा ।।
मिली है जो रो-रो के ये ज़िंदगी तो ,
इसे हॅंसते-हॅंसते बसर कीजिएगा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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