Thursday, September 12, 2024

ग़ज़ल

 

ग़म न उतना उनके दिल से दूर होने का हुआ ।।

ऑंख से गिरके जो चकनाचूर होने का हुआ ।।

अपने आज़ू-बाज़ू वाले ही न पहचानें हैं जब ,

फिर कहाॅं मतलब कोई मशहूर होने का हुआ ?

एक उम्दा बन गया शा'इर यही बस फ़ाइदा ,

इश्क़ में उनके मेरे रंजूर होने का हुआ ।।

और कुछ होता तो शायद मैं नहीं बनता शराब ,

मेरा ये अंजाम तो अंगूर होने का हुआ ।।

ख़ाकसारी ने किया जितना मेरा नुकसान सच ,

उससे बेहद कम मुझे मग़रूर होने का हुआ !!

जो न करना था किया , पाना था जो वो खो दिया ,

इस क़दर घाटा मेरे मजबूर होने का हुआ ।।

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 

 


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