ऑंख से गिरके जो चकनाचूर होने का हुआ ।।
अपने आज़ू-बाज़ू वाले ही न पहचानें हैं जब ,
फिर कहाॅं मतलब कोई मशहूर होने का हुआ ?
एक उम्दा बन गया शा'इर यही बस फ़ाइदा ,
इश्क़ में उनके मेरे रंजूर होने का हुआ ।।
और कुछ होता तो शायद मैं नहीं बनता शराब ,
मेरा ये अंजाम तो अंगूर होने का हुआ ।।
ख़ाकसारी ने किया जितना मेरा नुकसान सच ,
उससे बेहद कम मुझे मग़रूर होने का हुआ !!
जो न करना था किया , पाना था जो वो खो दिया ,
इस क़दर घाटा मेरे मजबूर होने का हुआ ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
No comments:
Post a Comment