Sunday, February 18, 2018

चित्र काव्य - खम्भा



यों ही कमर पे हाथ न रखकर खड़ा हूँ मैं !!
खंभे सा उसके इंतज़ार में गड़ा हूँ मैं !!
बैठे हैं वो न आने की क़सम वहाँ पे खा ,
उनको यहाँ बुलाने की ज़िद पर अड़ा हूँ मैं !! 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...