Sunday, February 25, 2018

मुक्त मुक्तक : 877 - गूँगी तनहाई.......


गूँगी तनहाई में चुपचाप जब मैं रहता हूँ !!
रौ में जज़्बातों की तिनके से तेज़ बहता हूँ !!
लिखने लगता हूँ मैं तब शोक-गीत रोते हुए ,
या कोई शोख़ ग़ज़ल गुनगुना के कहता हूँ !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...