Sunday, February 25, 2018

मुक्त मुक्तक : 878 - यह को वह .......


तजकर कभी , कभी सब कुछ गह लिखा गया !!
पीकर कभी , कभी प्यासा रह लिखा गया !!
लिखने का जादू सर चढ़ बोला तो बोले सब ,
ये क्या कि मुझसे ' यह ' को भी ' वह ' लिखा गया !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...