■ चेतावनी : इस वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी समस्त रचनाएँ पूर्णतः मौलिक हैं एवं इन पर मेरा स्वत्वाधिकार एवं प्रतिलिप्याधिकार ℗ & © है अतः किसी भी रचना को मेरी लिखित अनुमति के बिना किसी भी माध्यम में किसी भी प्रकार से प्रकाशित करना पूर्णतः ग़ैर क़ानूनी होगा । रचनाओं के साथ संलग्न चित्र स्वरचित / google search से साभार । -डॉ. हीरालाल प्रजापति
Monday, February 26, 2018
Sunday, February 25, 2018
Monday, February 19, 2018
Sunday, February 18, 2018
Saturday, February 17, 2018
Wednesday, February 14, 2018
ग़ज़ल : 249 - सिर को झुकाना पड़ा
आँखों को आज उससे चुराना पड़ा मुझे !!
कुछ कर दिया कि सिर को झुकाना पड़ा मुझे !!
जिसको मैं सोचता था ज़मीं में ही गाड़ दूँ ,
उसको फ़लक से ऊँचा उठाना पड़ा मुझे !!
उसको हमेशा खुलके हँसाने के वास्ते ,
कितना अजीब है कि रुलाना पड़ा मुझे !!
उसकी ही बात उससे किसी बात के लिए ,
कहने के बदले उल्टा छुपाना पड़ा मुझे !!
नौबत कुछ ऐसी आयी कि दिन-रात हर घड़ी ,
रटता था जिसको उसको भुलाना पड़ा मुझे !!
दुश्मन ज़रूर था वो मगर इतना था हसीं ,
उसको जो जलते देखा बुझाना पड़ा मुझे !!
सचमुच बस एक बार बुलंदी को चूमने ,
ख़ुद को हज़ार बार गिराना पड़ा मुझे !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
Thursday, February 8, 2018
ग़ज़ल : 248 - चीता बना दे.........
मत बिलाशक़ तू कोई भी नाख़ुदा दे !!
सिर्फ़ मुझको तैरने का फ़न सिखा दे !!
जो किसी के पास में हरगिज़ नहीं हो ,
मुझको कुछ ऐसी ही तू चीज़ें जुदा दे !!
सबपे ही करता फिरे अपना करम तू ,
मुझपे भी रहमत ज़रा अपनी लुटा दे !!
जिस्म तो शुरूआत से हासिल है उसका ,
तू अगर मुम्किन हो उसका दिल दिला दे !!
सिर्फ़ ग़म ही ग़म उठाते फिर रहा हूँ ,
कुछ तो सिर पर ख़ुशियाँ ढोने का मज़ा दे !!
सबके आगे जिसने की तौहीन मेरी ,
मेरे क़दमों में तू उसका सिर झुका दे !!
हर कोई कहता है मैं इक केंचुआ हूँ ,
तू हिरन मुझको या फिर चीता बना दे !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
Saturday, February 3, 2018
Subscribe to:
Posts (Atom)
मुक्तक : 948 - अदम आबाद
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
