Saturday, September 24, 2016

*मुक्त-मुक्तक : 860 - हैं भूखे हम बहुत



नहीं ख़स्ता कचौड़ी के , नहीं तीखे समोसे के ॥
नहीं तालिब हैं हम इमली न ख़्वाहिशमंद डोसे के ॥
न लड्डू , पेड़ा , रसगुल्ला ; न रबड़ी के तमन्नाई ;
हैं भूखे हम बहुत लेकिन तुम्हारे एक बोसे के ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...