Wednesday, September 14, 2016

ग़ज़ल : 216 - काश कोई कमाल हो जाए ॥




काश कोई कमाल हो जाए ।।
अम्न दिल में बहाल हो जाए ।।1।।
गर वो सबके जवाब देता है ;
एक मेरा सवाल हो जाए ।।2।।
जब नहीं खोदने को कुछ होता ;
नख ही मेरा कुदाल हो जाए ।।3।।
कम से कम ग़म में वाइज़ों को भी ;
बादानोशी हलाल हो जाए ।।4।।
ख़ुद को भी वो मिटा के रख दे गर ;
सिर्फ़ ग़ुस्से से लाल हो जाए ।।5।।
उसके जाते ही एक बिन माँ के ;
मेरा बच्चे सा हाल हो जाए ।।6।।
ज़ोरावर हैं वो कछुए जो सोचें ;
उनकी चीते सी चाल हो जाए ।।7।।
इक कमाल इस तरह भी हो मेरा ;
तीर ही मेरी ढाल हो जाए ।।8।।
है ये हसरत तमाम बोसों की ;
उनको तू होंठ-गाल हो जाए ।।9।।
इस तरह से मरूँ कि दुनिया में ;
मेरा मरना मिसाल हो जाए ।।10।।
अपने कुछ सोचते हैं अपनों का ;
कैसे जीना मुहाल हो जाए ।।11।।
बच भी सकता है वो अगर उसकी ;
प्यार से देखभाल हो जाए ।।12।।
झूल लेना तुम उसपे जी भर कर ;
जब वो टहनी से डाल हो जाए ।।13।।
ठण्ड में कड़कड़ाती वो मेरा ;
आर्ज़ू है कि शॉल हो जाए ।।14।।
( वाइज़ों = धर्मोपदेशकों ,बादानोशी = शराबखोरी ज़ोरावर = बलवान , बोसों = चुम्मों आर्ज़ू = इच्छा )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

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