Friday, October 4, 2024

मुक्तक

 दरारों से ज्यों वर्जित दृश्य ऑंखें फाड़ तकते हैं ।।

यों ज्यों कोई व्यक्तिगत दैनंदनी चोरी से पढ़ते हैं ।।

कि ज्यों कोई परीक्षा में नकल करने से डरता है ,

कुछ ऐसे ढंग से एकांत में हम उससे मिलते हैं ।।

-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...