Monday, October 21, 2024

चश्मा

 

जलते हुए मरुस्थल लगते थे मुझको गीले ।।
गहरे से गहरे गड्ढे दिखते थे उॅंचे टीले ।।
सारे हरे - हरे ही चश्मे से दिख रहे थे ,
चश्मा उतारकर जब देखा तो सब थे पीले ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 


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